गूंजेगी ख़ामोशी
आज हो गई दूर में अपनी पहचान से
हो गई बेखोफ अपने ही अंजाम से .
चली गई में बहुत दूर हर फीकी शान से
ले लिया मोंन हर रिक्त स्थान से
पर ना जाना चाहती थी कोसो दूर
ना होना चाहती थी इतनी मजबूर
ना होना था ऐसे मशहूर .
ना होना था ऐसे मशहूर .
मै तो माटी की वो मूरत थी
जो बेटी के साँचे में पली बड़ी
जो बेटी के साँचे में पली बड़ी
मासूमियत मेरी पहचान थी
मुझसे छीन ली पहचान मेरी
बोझिल कर दी मासूमियत सारी
छीन लिया अस्तित्व,छीनी शान मेरी
पल पल मारा मुझ को! उन वेहशी बेमानो ने
हर पल मुझको दफ़न किया
हर पल मुझको दफ़न किया
उन इंसानी हैवानो ने
ज्योति की लो बनके
ज्योति की लो बनके
जब में आज जलती हू
बस ये ही सोचा करती हू
बस ये ही सोचा करती हू
एक मासूम लड़की में थी!
जब जीने चली जिंदगी
मुझसे आज़ादी छीन ली
डरी सहमी बिखरी पडी थी
क्यों मुझसे नज़रे फेर ली
डरी सहमी बिखरी पडी थी
क्यों मुझसे नज़रे फेर ली
मै टूट गई मै टूट गई।
बस एक उम्मीद अपने पीछे छोड़ गई
इस देश में दुबारा ऐसी हैवानियत न हो।
इस देश में फिर किसी दामिनी,
किसी अमानत का जन्म ना हो।
6 comments:
gud one .. may her soul R.I.P
Thanx Pankaj..
keep visiting my blogs.
stay blessed
really nyc1,,,heart touchin lines,,,R.I.P DaMiNi
@ mana ranjan
Thanx..
keep visiting my blog
stay blessed..:)
you welcome
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