Saturday 29 December 2012




गूंजेगी ख़ामोशी 

आज हो गई दूर में अपनी पहचान से 
हो गई बेखोफ अपने ही अंजाम से .
चली गई में बहुत दूर हर फीकी शान से 
ले लिया  मोंन हर  रिक्त स्थान से 


पर ना जाना चाहती थी कोसो दूर 
ना  होना चाहती थी इतनी मजबूर 
ना  होना था ऐसे  मशहूर .


मै तो माटी की वो मूरत थी 
 जो  बेटी के साँचे में पली बड़ी  
मासूमियत मेरी  पहचान थी 


मुझसे छीन ली पहचान मेरी 
बोझिल कर दी  मासूमियत सारी   
छीन लिया अस्तित्व,छीनी शान मेरी  



पल पल मारा मुझ को!  उन वेहशी बेमानो  ने 
 हर पल मुझको  दफ़न किया 
उन इंसानी हैवानो ने

ज्योति की लो बनके 
जब में आज जलती हू 
बस ये ही सोचा करती हू 
एक मासूम लड़की में थी! 

जब जीने चली  जिंदगी  
 मुझसे आज़ादी छीन  ली
डरी सहमी बिखरी  पडी थी 
क्यों मुझसे नज़रे फेर ली 
मै टूट गई मै टूट गई।   

बस एक उम्मीद अपने पीछे छोड़ गई 
इस देश में दुबारा ऐसी  हैवानियत न हो।
इस देश में फिर किसी दामिनी
 किसी अमानत का जन्म  ना हो।



6 comments:

Pankaj said...

gud one .. may her soul R.I.P

Amarya.S said...

Thanx Pankaj..
keep visiting my blogs.
stay blessed

Unknown said...

really nyc1,,,heart touchin lines,,,R.I.P DaMiNi

Amarya.S said...

@ mana ranjan
Thanx..
keep visiting my blog
stay blessed..:)

Unknown said...

you welcome

Unknown said...

you welcome